कैसे करूँ भरोसा हर जगह फरेब दिखता है।
सच दबकर बैठ गया है कोने में हर जगह झूठ का चौपाल लगता है।
सच डरा सहमा मुरझाया सा झूठ का फल फलता- फूलता है।
सच कहाँ से लाए कहीं बिकता नहीं झूठ का दुकान हर जगह लगता है।
डॉ. अनिता सिंह 13/04/2019