सोमवार, 31 अगस्त 2020

प्राइवेट स्कूल के शिक्षक की व्यथा

प्राइवेट स्कूल
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प्राइवेट स्कूल की व्यथा वह
नहीं समझ है सकता ।
जो सरकारी पैसे से है
पल्लवित -पुष्पित होता ।
कोरोना के खतरे के चलते बच्चों को
पढ़ाते हैं हम शिक्षकऑनलाइन ।
दिनभर मोबाइल पर माथापच्ची कर
देते हैं हम गाइड लाइन ।
शिक्षा ही नहीं संस्कारों के लौ भी
हम शिक्षक जगाते हैं ।
अभिभावकों से मिन्नत कर बच्चों को
ऑनलाइन बुलाते हैं ।
फिर भी शिक्षक की मेहनत को सभी ने नजरअंदाज किया ।
बच्चों की फीस न पटा कर इनके
पेट पर लात मार दिया ।
प्राइवेट स्कूलों की नहीं है
कोई मद और कमाई।
बच्चों के फीस से है होती इनके
तनख्वाह की भरपाई ।
इनकी मेहनत का अंदाजा आपको
कभी नहीं हो सकता ।
दिन भर मोबाइल कंप्यूटर के साथ
टीचिंग लर्निंग को अपनाता ।
कभी व्हाट्सएप ,कभी यूट्यूब चलाते हैं
सिग्नल नहीं मिले तब भी हम पढ़ाते हैं ।
पारिवारिक सुख संबंधों को ताक पर
रखकर कराते हैं पढ़ाई ।
सी बी एस ई के नियमानुसार चलते हैं
हम शिक्षक भाई ।
कहीं कोई कमी न रह जाए
ऑनलाइन पढ़ाई में ।
इसलिए पीडीएफ एवं वीडियो बनाने में
लगा देते हैं बची खुची कमाई ।
शिक्षक के मेहनत को सब ने
नजरअंदाज कर दिया है।
बच्चों को आॅनलाइन पढ़ाने में
हमने की जान लगा दिया ।
फिर भी पचास में से पच्चीस बच्चे ही
सिर्फ आते हैं ऑनलाइन ।
फिर भी इन के हित को ध्यान में रखकर
पढ़ाते हैं हम शिक्षक भाई ।
कोरोना में घर बैठकर भी
ज्ञान का दिया जलाते हैं।
हम शिक्षक बच्चों का भविष्य
सुधारने हेतु ऑनलाइन पढ़ाते हैं ।
कोरोना के संकट में सब कुछ
उथल -पुथल हो गया ।
शिक्षक का जीवन भी इसमें
कहीं बिखर गया ।
अब तक भविष्य निर्माता शिक्षकों की
कहीं किसी को सुध नहीं आई ।
पेट भरे तो भरे कैसे तनख्वाह के साथ
ट्यूशन की भी बंद है कमाई।
माता -पिता ,बीवी -बच्चे
सब लगाए आस हैं ।
दिन भर मेहनत करके भी
हम शिक्षक आज उदास हैं।
बच्चों के भविष्य सुधारने वालों का
भविष्य अंधकार में है ।
तनख्वाह के बिना विवश ,लाचार
प्राइवेट स्कूल का शिक्षक
कोरोना काल में है ।

डॉ .अनिता सिंह 

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