रविवार, 6 मई 2018

दुनिया के पार

मैं श्रद्धा के फूल तुझे अर्पण करती हूँ।
आशा के दीप तेरे दर पर जलाती हूँ।
मैं तुम्हें देवता मानकर पूजती हूँ।
तुम्हारे चरणों में प्रणाम करती हूँ।
तुमसे खुशियों का वरदान माँगती हूँ।
तेरे दर्शन के लिए तुमसे ही फरियाद करती हूँ।
तुम आओगे मेरे पास विश्वास करती हूँ।
मीत मानकर स्नेह से तुम्हें स्पर्श करती हूँ।
मेरे स्नेह को पाकर
तुम चल पड़ते हो मेरे साथ।
तब खुशी से तुमको अपनाती हूँ।
साथी कहकर तुम्हें गले लगाती हूँ।
तुम्हारे अलौकिक रुप को
निहारती हूँ बार बार।
फिर यह प्राण सौपकर तुझे
चली जाऊँ इस दुनिया से पार।

डॉ. अनिता सिंह

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