रविवार, 22 जुलाई 2018

मेरा आनंद

मेरा आनंद तुझ पर ही निर्भर है
इसलिए विकल होती हूँ हर बार।
प्रभु अगर तुम नहीं होते तो
मेरा प्रेम था निष्फल बेकार।
तुमको ही लेकर रहती हूँ
तुम बसते हो हृदय के पार।
कितना मुग्धकारी रूप है तुम्हारा
तभी तो देखने आती हूँ तेरे द्वार।
प्रेम तुम्हारा है सब पर
फिर मुझसे ही क्यों दूर हो जाते हो हर बार।
यह तुम्हारी झिलमिल मूरत
दिखाती है कितने रूप अपार।
मेरे जीवन में प्रेम को लाने वाले
मेरे कृष्णा एक बार हो जाओ साकार।
आँखों से ओझल मत होना
रखूँ तुझको पलको में बाँध।

डॉ. अनिता सिंह
22/7/2018

रविवार, 8 जुलाई 2018

दर्शनाभिलाषी

दर्शनाभिलाषी हूँ तेरी
दर्शन तो दिया करो।
नहीं माँगती हूँ कुछ तुमसे
बस उर में अपने जगह दिया करो।
मेरी स्मृतियों में तुम रहते हो
मुझे स्मृता में रखा करो।
कभी - कभी तुम मेरे अंतर्मन की
पीड़ा को भी पढ़ लिया करो।

डॉ. अनिता सिंह
7/7/2018

रविवार, 1 जुलाई 2018

हाल न जाने..........

इस पार तो मेरी तड़प प्रभु
उस पार न जाने क्या होगा?
जब तुम आओगे मेरे सामने
उस पल का हाल न
जाने क्या होगा?
मैं भी हूँ तुम भी हो
फिर मिलन का अंजाम
न जाने क्या होगा ?
मेरी आँखों तो में आँसू होंगे
तेरी आँखों का सवाल
न जाने क्या होगा ?
मैं गले लगाने को आतुर
तेरी बाहों का व्यवहार
न जाने क्या होगा ?
इन अधरों को तेरी प्यास है
तेरी अधरों का हाल
न जाने क्या होगा ?

डॉ. अनिता सिंह
01/07/2018

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