बुधवार, 1 जनवरी 2020

नया साल

जनवरी नये खिलते फूलों की
खुशबू जैसा लगता है।
उत्साह उमंग से भर कर
जीवन चलना शुरू करता है।
फरवरी सोचते हैं अभी तो शुरू हुआ है साल।
कुहरे- कुहरे में दिला जाता है बसंत की याद।
मार्च थोड़ी तपिश और थोड़ा
पसीना छोड़ जाता है।
जिंदगी पटरी पर नहीं आई
यह फीक्र भी कराता है।
अप्रैल के साथ शुष्क सा यथार्थ आता है।
जो कोमल इरादे की पत्तियों को झुलसाता है।
मई जब सामने आता है,
धूल, धूप और गर्मी साथ लाता है ।
समय धीरे- धीरे निकल रहा है
यह भी याद दिलाता है।
जून थोड़ी बेचैनी थोड़ा उमस के साथ आता है।
आधे साल के बचे होने का एहसास दिलाता है।
जुलाई जब सामने बरसात में नहाता है।
कशमकश के साथ वादों को याद दिलाता है।
अगस्त से आरम्भ हो जाता है वर्ष का ढलान।
जिसमें पहली बार शामिल होता है
उदास खयाल।
सितम्बर थोड़ा सहारा देता है तसल्ली भी
कि बहुत कुछ किया जा सकता है अभी भी।
अक्टूबर साथ माँ दुर्गा और
लक्ष्मीको लेकर आता है।
याद दिलाता हुआ झूमकर सारे उत्सव मनाता है।
नवम्बर से ही आरम्भ हो जाता है विदा गीत।
कोमल धूप में लिपटा चिड़ियों का संगीत।
दिसंबर तो आता ही है
नये साल का दरवाजा खोलने।
खुद से किए अनगिनत वादों को भूलने।
पहली बार महसूस होता है निकल गया साल
लेकिन इसके बाद तो फिर आ रहा है नया साल।
जिसमें देख सकेंगे सपने फिर से नये सिरे से।
क्योंकि आ गया है नया साल धीरे से, धीरे से।

डॉ. अनिता सिंह
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
मो. न. 9907901875

Popular posts