एक पल जो
तुम्हारे और मेरे
बीच से
गुजरा था
कितना
मखमली था
गुजरता है
आज भी
वह पल
पर तुमने
उगा दिए हैं
उस पल पर
नफरतों के
घने जंगल।
डॉ .अनिता सिंह
एक पल जो
तुम्हारे और मेरे
बीच से
गुजरा था
कितना
मखमली था
गुजरता है
आज भी
वह पल
पर तुमने
उगा दिए हैं
उस पल पर
नफरतों के
घने जंगल।
डॉ .अनिता सिंह
जितनी शिद्दत से
देखा था तुमने
मुझे कभी
काश!!!!!
उतनी ही शिद्दत से
रिश्ता भी
निभाया होता
तुमने सभी!
डॉ. अनिता सिंह
13/7/2019
किताब है तू
इक धूँधला सा आइना है तू
आधा अधूरा सा मेरा ख्वाब है तू।
वक्त का टूटा लमहा है तू
मेरी आँखों में ठहरा सैलाब है तू।
न जुड़ पाये न अलग हुए
उलझा हुआ सा हिसाब है तू।
गुमनामी की भीड़ में गुम गये हो कहीं
जो गुम गया वही खिताब है तू ।
आती है हर पल तेरी खुशबू
तू ही बेला तू ही गुलाब है तू।
बहुत पढ़ने की कोशिश करती हूँ तुझे
पर धूँधले शब्दों की किताब है तू।
डॉ. अनिता सिंह