शुक्रवार, 29 नवंबर 2019

अपरिचित

             
 तुम अपरिचित से
कब परिचित बन गए
पता ही नहीं चला
इससे अच्छा होता कि
तुम अपरिचित ही रहते
न परिचित होते
न मेरे दिल में बसते
न तुम्हें पाने की तड़प होती
न आसुओं की छलक होती।

डॉ. अनिता सिंह 

गुरुवार, 28 नवंबर 2019

भूल जाना

तुमने कभी कहा था मुझसे
धीरे- धीरे भूल जाना मुझे
मैं भी भूल जाना चाहती हूँ तुझे
तेरी याद संजोते -संजोते
बहुत थक गयी हूँ।
तुमने तो एक झटके में
डाली के पत्ते सदृश
अलग कर दिया
लेकिन तेरा स्पर्श
आज भी तेरी उपस्थिति
दर्ज करा जाती है।
तेरी याद में
आखों से बहते अश्रु
आज भी तेरी
बेरूखी जता जाती है
तुम्हारे दूर जाने का अहसास
आज भी ताजा है
जो उम्मीद जगाते हैं
तेरे लौट आने का
तुमने कहा जरुर था मुझसे
भुल जाना मुझे
लेकिन कहाँ भूल पायी हूँ
आज भी तुझे
अब कभी मत कहना मुझसे
कि भूल जाना मुझे।

डॉ. अनिता सिंह
बिलासपुर


रविवार, 17 नवंबर 2019

संत आज के बड़े निराले

संत आज के बड़े निराले
गेरूआ है सिर्फ वसन उनका
मन मलिन और काले।

त्याग तपस्या से नाता तोड़ दिया है ।
नैतिकता का उत्तरदायित्व छोड़ दिया है।
राह दिखाने वाले बन गए राह के रोड़े।

गैरिक वस्त्रों की मर्यादा भूलकर
व्यभिचार अनैतिकता में डूबकर
मदिरा के उड़ेल रहें हैं प्याले ।

लोभ -लालच में फँसे हुए हैं
भोग -विलास में डूबे हुए हैं
संपत्ति संग्रह में लिप्त हुए हैं
धर्म के रखवाले।

अच्छे -बुरे की पहचान नहीं है
धर्म का वास्तविक ज्ञान नहीं है
फिर भी प्रवचन करते सांझ सबेरे।

संत -महात्मा के गुणों से कोशो दूर
शानो -शौकत में जीने को मजबूर
अध्यात्म के नाम पर करते चोचले सारे।

धर्म के ठेकेदार बने हैं
जनता को गुमराह किए हैं
अपना उल्लू सीधा करने करते हैं उद्यम सारे।

महिलाओं का यौन शोषण इनका धार्मिक कृत्य है
सलाखों के पीछे जाना इसका प्रमाणित सबूत है
अरबों का व्यापार करते ढोंगी बाबा प्यारे ।


डॉ. अनिता सिंह 

शुक्रवार, 8 नवंबर 2019

तुम मेरे ही तो हो

अगर मेरी चाहत में तेरी चाहत
नहीं मिली तो क्या हुआ
तुम मेरे ही तो हो।

तेरी नजरों ने मेरी नजरें
नहीं पढ़ी तो क्या हुआ
तुम मेरे ही तो हो।

तेरी धड़कनो ने मेरी धड़कनो का
एहसास नहीं किया तो क्या हुआ
तुम मेरे ही तो हो।

तेरे दिल ने मेरे दिल की आवाज़
नहीं सुनी तो क्या हुआ
तुम मेरे ही तो हो।

जिंदगी की सफर में एक राह पर
साथ नहीं चले तो क्या हुआ
तुम मेरे ही तो हो।

तुम प्यार के बदले मुझे नफरत
करते हो तो क्या हुआ
तुम मेरे ही तो हो।

मैं करती रहूँगी यूँ ही तुमसे मुहब्बत दिल से
नहीं समझते तो क्या हुआ
तुम मेरे ही तो हो।

डॉ .अनिता सिंह
बिलासपुर छत्तीसगढ़

मंगलवार, 5 नवंबर 2019

प्रेम के प्याले ने

सम्भाल रखी है तेरी तस्वीर
दिल के तहखाने में।
धुँधली नहीं होने दी है
तेरी यादों को
वक्त के पैमाने में।
जाने कितने नाम
जेहन में आकर चले गये
पर तेरे नाम की रोशनाई
मिटने नहीं दी है
तेरी यादों ने।
अधूरे ख्वाबों को
छिपा रखा है
दिल के बंद दरवाजे में।
तेरी पुरानी यादें
अभी भी कैद हैं
दिल के तहखाने में।
बनाना चाहती तुम्हें कृष्ण
पता नहीं तुम बने कि नहीं
पर मुझे राधा बना दिया
तेरे प्रेम के प्याले ने।

डॉ .अनिता सिंह
बिलासपुर छत्तीसगढ़

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