लगा दो गुलाल तुम मुझे
खेलूँ तुझ संग मैं होली ।
है फागुन गुलाल सा खिला
तुम बिन है अधूरी होली।
सारा जहाँ है गुलाल में डूबा
तुम बिन गुलाल का सौन्दर्य कुछ नहीं।
तुम गले लगालो मुझे
पा लूँ मैं मोक्ष यहीं।
बस इसी आस में
मेरे सपने जीवित हैं अभी।
डॉ. अनिता सिंह
21/3/2019