रविवार, 24 मार्च 2019

गुलाल

लगा दो गुलाल तुम मुझे
खेलूँ तुझ संग मैं होली ।
है फागुन गुलाल सा खिला
तुम बिन है अधूरी होली।
सारा जहाँ है गुलाल में डूबा
तुम बिन गुलाल का सौन्दर्य कुछ नहीं।
तुम गले लगालो मुझे
पा लूँ मैं मोक्ष यहीं।
बस इसी आस में
मेरे सपने जीवित हैं अभी।

डॉ. अनिता सिंह
21/3/2019

बुधवार, 13 मार्च 2019

अजनबी

क्यों मुझे मिल गये तुम कहानी बनकर।
दिल में बस गए निशानी बनकर ।
रहते हो धड़कनो में जिंदगानी बनकर ।
नयनो से ढुलक जाते हो पानी बनकर ।
नींदों से जगाते हो ख्वाब सुहानी बनकर ।
फिर क्यों सामने आते हो अजनबी बनकर।

डॉ. अनिता सिंह
13/3/2018

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