रविवार, 18 नवंबर 2018

धोखा

मैने जिसे अनुभव किया
वो अनुभूति हो तुम।
जिस गंध का आघ्राण किया
वो खुशबू हो तुम।
जिसे स्नेह भाव से स्पर्श किया
वो प्रणय हो तुम।
जिसे देख दिल हर्षित हुआ
वो प्रेम हो तुम।
जिसे आत्मीय रूप से चाहा
वो अमृत हो तुम।
सकल विश्वास जिसे सौंप दिया
वो भरोसा हो तुम।
फिर क्यों ऐसा लगता है, जीवन का
सबसे बड़ा धोखा हो तुम।

डॉ. अनिता सिंह
18/11/2018

सोमवार, 5 नवंबर 2018

झूठों की बस्ती


झूठों की इस बस्ती में
सच को यहाँ पहचाने कौन?
अपने में ही उलझे लोग
नियत किसी की जाने कौन ?
एक चेहरे पर चेहरे अनेक
सच्चा चेहरा तलाशे कौन?
अंधेर नगरी चौपट राजा
प्रतिभा को यहाँ निखारे कौन.?
सच मौन है, झूठ मुखर है
मौन की भाषा बाचे कौन?
हिमालय सा झूठ, सच सूखी नदी
सूखी नदी की धार लहराए कौन?
जब झूठ हो गया पूजनीय
तब सच जहाँ में लाए कौन?

डॉ. अनिता सिंह
05/11/2018

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