शनिवार, 22 जून 2019

वर्षों में

वर्षों में
मैं सपना सुकुमार तुम्हारा
पोषित करती हूँ पलकों में।
बीत रहा है पल पल हर दिन
रहते हो तुम अश्कों में।
तेरे प्रीत में डूब रही हूँ
पिछले कितने वर्षों में।
पल पल देख रही पथ तेरा
क्या आओगे तुम वर्षों में।

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