कहाँ -कहाँ से अलग
कर सकोगे मुझे
हर रिश्ते में मै,
तेरा रिश्ता तलाशती हूँ।
वह तुम ही तो हो
जिसे देखने की आदी थी
मैं आज तक वही
एक चेहरा तलाशती हूँ।
जिस राह पर चले थे
चंद कदम हम साथ
मैं आज भी वही
खुशनुमा रास्ता तलाशती हूँ।
तुम्हारे शहर में रहकर
जीती हूँ मौत की तरह
चारो तरफ हैं तेरी वेवफाइयाँ
इनके बीच में भी
तेरी वफा तलाशती हूँ।
डॉ. अनिता सिंह
3o/09/2018