रविवार, 30 सितंबर 2018

वफा

कहाँ -कहाँ से अलग
कर सकोगे मुझे
हर रिश्ते में मै,
तेरा रिश्ता तलाशती हूँ।

वह तुम ही तो हो
जिसे देखने की आदी थी
मैं आज तक वही
एक चेहरा तलाशती हूँ।

जिस राह पर चले थे
चंद कदम हम साथ
मैं आज भी वही
खुशनुमा रास्ता तलाशती हूँ।

तुम्हारे शहर में रहकर
जीती हूँ मौत की तरह
चारो तरफ हैं तेरी वेवफाइयाँ
इनके बीच में भी
तेरी वफा तलाशती हूँ।

डॉ. अनिता सिंह
3o/09/2018

सोमवार, 24 सितंबर 2018

घरौंदा

तेरी यादों का घरौदा
भी क्या खूब होता है।
तुम्हें भूलना चाहूँ तो
तू हर पल करीब होता है ।
तुम्हें देख खामोशियाँ
खिलखिलाती थी मेरी ।
अब तेरी याद में
मेरी आँखों में सिर्फ.....
नीर होता है ।

डॉ. अनिता सिंह
24/9/2018

रविवार, 2 सितंबर 2018

तेरी यादों का सपना

अब तेरी यादों का सपना
मन की आँखों में हरपल तिरता है ।
अब गीत -गजल और कविता में
मन तुझको ही ढूँढता फिरता है ।

मैं तेरे बिन तनहा अकेली हूँ
अब अपनी छाया से भी डरती हूँ।
तनहा रातों में सिसक-सिसक कर
तेरी तस्वीर से बातें करती हूँ।

झूठे सपने बुन-बुन कर
अब आँखें है हार गयी।
कैसे दिल की बात कहूँ
तुम तक न दिल की आवाज गयी।

भटक रही हूँ अहसासों के
उबड़ -खाबड़ राहों में ।
अब तनहा रस्ता तकती हूँ
आकर लेलो 'प्रभु 'अपनी बाहों में ।

डॉ. अनिता सिंह
2/9/2018

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