रविवार, 20 जनवरी 2019

सेंध

ओ सेंध लगाकर जाने वाले
कुछ मेरी भी सुनते जाना ।

मेरी सोई धड़कनो को जगाने वाले
एक मधुर गीत तो गुनगुनाना।

रातों को नींदो से जगाने वाले
सुहानी ख्वाब बनकर आना।

निहारती हूँ हर लम्हा पथ तेरा
एक बार लौट आना।

जाना ही चाहते हो तो जाओ
जाते जाते एक बार मुस्कुराना।

गिले शिकवे सब भूला कर
मुझे माफ करते जाना।

डॉ. अनिता सिंह
20/01/2019

सोमवार, 14 जनवरी 2019

जो मिल जाते

जो मिल जाते तुम एक बार,
लेती मैं जी भर के निहार।

रखती हरपल पलकों में तुझे,
कर देती अपना सर्वस्व वार।

हर पीड़ा में पाया तुझको,
दिया तूने है सदैव सहाय।

अहसास है होने का तुम्हारे,
फिर भी मन क्यों है उदास ।

इसमें -उसमें सबमें ढूँढा,
जब बैठी मैं मन हार।

तब तूने अहसास कराया,
मैं सदैव हूँ तेरे साथ।
डॉ. अनिता सिंह

14/01/2019

शनिवार, 5 जनवरी 2019

तुम एक रहस्य हो

तुम एक रहस्य हो
तुम्हें जान नहीं पाती हूँ।

तुम्हें जानना तो चाहती हूँ।
पर पहचान नहीं पाती हूँ।

तुम्हें समझना तो चाहती हूँ।
पर समझ नहीं पाती हूँ।

हर पल महसूस करती हूँ।
पर सदैव अदृश्य पाती हूँ।

दर्द कैसा भी हो।
तुम्हें करीब पाती हूँ।

लगता है हर पल मेरे आस- पास हो।
पर क्यों? पहचान नहीं पाती हूँ।

कितने ही रिश्ते -नाते है।
पर तेरे रिश्ते को सदैव अटूट पाती हूँ।

चाहे सुख हो या दुख ।
सदैव अपनी यादों में तुम्हें सजाती हूँ।

एक उम्मीद की किरण हो तुम ।
इसलिए तो दृढ़ विश्वास जताती हूँ।

तेरी सूरत है बसी दिल में।
लेकिन हर बार नया पाती हूँ।

तुम रहस्य या अनसुलझी पहेली हो।
तभी तो तुम्हें जान नहीं पाती हूँ।

डॉ. अनिता सिंह
05/01/2017

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