बुधवार, 28 अगस्त 2024

कांवड़ यात्रा

    श्रावण मास आरंभ होते हैं कांवड़ियों की कांवड़ यात्रा का भी शुभारंभ हो जाता है। कांवड़ियों की शिव के प्रति अटूट भक्ति देखकर ही मन में उनके प्रति श्रद्धा का भाव आना स्वाभाविक है। शिव भक्त अपने कंधों पर पवित्र जल का कलश लेकर पैदल यात्रा करते हुए प्रसिद्ध शिवलिंग तक पहुँचते हैं। एक दिन कांवड़ियों का समूह यात्रा के दौरान विश्रांति के लिए एक वृक्ष के नीचे ठहर गए। कावड़ यात्रा के दौरान न तो कलश को नीचे रख सकते हैं और न हीं जल कलश से गिरने पाए,इसका विशेष ध्यान रखा जाता है। एक कांवड़िया अपने कलश को संभालते हुए बड़ी सतर्कता और सावधानी से सबसे दूरी बनाकर बैठा ही था कि एक बूढ़ा व्यक्ति उसके पास आकर पानी पिलाने की याचना करने लगा। कांवड़िया ने जब उसे बताया कि यह जल हम शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए लेकर जा रहे हैं बाबा ,इसलिए इसमें से नहीं पिला सकते। तब बूढ़ा व्यक्ति कहने लगा कि मैं बहुत दूर से आ रहा हूँ ;मुझे बहुत प्यास लगी है और अब तो मुझसे पानी पीए बिना चला भी नहीं जा रहा है और यहाँ आस-पास कहीं पानी भी नहीं दिखायी दे रहा है; कृपा करके मुझे थोड़ा पानी पिला दीजिए, भोले बाबा आप पर कृपा करेंगे । कांवड़िया कुछ देर तक असमंजस की स्थिति में सोचता रहा फिर उसने कहा लो बाबा थोड़ा जल पी लो । वृद्ध व्यक्ति ने जल पीना आरंभ किया तो कावड़िये के कलश का पूरा जल पी गया और उसके चेहरे की तृप्ति का भाव देखकर कांवड़िया वहीं से भोले बाबा के प्रति नतमस्तक हो प्रणाम करने के लिए आँख बंद किया तब देखा है कि वह बूढ़ा व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि साक्षात भोले बाबा हैं और उसकी कावड़ यात्रा वहीं पूरी हो जाती है ।

डॉ.अनिता सिंह 
उपन्यासकार/समीक्षक 
बिलासपुर (छ.ग.)

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