क्यों मुझे मिल गये तुम कहानी बनकर। दिल में बस गए निशानी बनकर । रहते हो धड़कनो में जिंदगानी बनकर । नयनो से ढुलक जाते हो पानी बनकर । नींदों से जगाते हो ख्वाब सुहानी बनकर । फिर क्यों सामने आते हो अजनबी बनकर।
डॉ. अनिता सिंह 13/3/2018
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें