गुरुवार, 10 मई 2018

सच -झूठ

सच -झूठ
झूठ ने एक दिन सच से पूछा
क्यों होती है दुनिया में
सच-झूठ की लड़ाई?
सच ने मासूमियत से जवाब दिया --
जो बोलते हैं ,सच का साथ दो
वही होते हैं झूठ के सगे भाई।
तभी तो सच आज वहशी पंजो में
जकड़ा छटपटा रहा है।
और झूठ!
झूठ बगल में खड़े हो
ठहाके लगा रहा है।
सच, सच है इसलिए
पंक्ति में पीछे खड़ा हो
आँसू बहा रहा है।
झूठ, झूठी चापलूसी कर
आगे बढ़ता जा रहा है।
सच के सामने
भले लोग शीश झुकाते हैं ।
पर झूठ के इशारों पर ही तो
कदम बढ़ाते हैं।
सच-झूठ का खेल अनोखा है।
सच के साथ हरदम होता धोखा है।
झूठ आज बेखौफ हो सोता है।
क्योंकि झूठ के साथ
चाटुकारों का आशीर्वाद है।
सच की जीत होती है, यह कहावत
आज सच को करती बेनकाब है।
बड़े -बड़े लोग
झूठ और मक्कारी के साथ हैं।
तभी तो सच आज झूठ के सामने
विवश और लाचार है।

डॉ. अनिता सिंह



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