प्रार्थना
जिसका गुढ़ अर्थ है वह शब्द है प्रार्थना ।
जो ईश्वर को नमन है वही स्वर है प्रार्थना।
ईश्वर के प्रति अटूट विश्वास है प्रार्थना।
मानव की करूण पुकार है प्रार्थना।
हृदय का निर्मल प्रवाह है प्रार्थना।
याचना के स्वर की आवाज है प्रार्थना।
दुखों में व्याकुल पुकार है प्रार्थना ।
सुखों में मन का उल्लास है प्रार्थना |
वेदना में सुखद अनुभूति है प्रार्थना ।
दिल के आहों की तृप्ति है प्रार्थना ।
ईश्वर के समक्ष मनुष्य का प्रश्न है प्रार्थना।
सुखद अनुभूति का ही प्रतिउत्तर है प्रार्थना।
निराकार को पाने दिव्य दृष्टि है प्रार्थना ।
सबमें समाया वही सृष्टि है प्रार्थना ।
डॉ.अनिता सिंह
bahut sundar. :-)
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
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