तुम मुझसे मुहब्बत करते हो या नहीं
पर मुझे तुमसे मुहब्बत क्यों है
मैं नहीं जानती।
मैने कही थी दिल की बात, तुमने सुना नहीं
फिर तेरा इंतजार क्यों है
मैं नहीं जानती।
तेरे मेरे दरमियाँ है घना फासला
फिर हर पल तेरा अहसास क्यों है
मैं नहीं जानती।
तेरे बिन जिंदगी है उदास सी
पल भर के साथ का अब तक उजास क्यों है
मैं नहीं जानती।
डॉ .अनिता सिंह
9/12/2019
सोमवार, 9 दिसंबर 2019
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
Popular posts
-
मुझे कुछ पता नहीं था कहाँ,कैसे, कब जाना है । रात में अचानक नींद खुली तो मैं छटपटा कर उठ बैठी । ठीक ही तो कह रहे थे मैंने इतने वर्ष ...
-
अनंत इच्छाएँ.... अनंत इच्छाएं कभी खत्म ही नहीं होती हैं हर पल मन में चलती रहती हैं। सुबह उठते ही अखबार पढ़ती हूँ तो खोजी पत्रकार होने की इच...
-
अनंत इच्छाएँ.... अनंत इच्छाएं कभी खत्म ही नहीं होती हैं हर पल मन में चलती रहती हैं। सुबह उठते ही अखबार पढ़ती हूँ तो खोजी पत्रकार होने की इ...
-
अब मैं धीरे-धीरे बुझने के लगी हूँ। करती नहीं अब किसी से बात । सुनती नहीं जीवन का राग । करती नहीं किसी की तारीफ , क्योंकि अब मैं--------...
-
सच -झूठ झूठ ने एक दिन सच से पूछा क्यों होती है दुनिया में सच-झूठ की लड़ाई? सच ने मासूमियत से जवाब दिया -- जो बोलते हैं ,सच का साथ दो व...