रविवार, 24 जून 2018

नहीं दोष सिर्फ मेरी नज़रो

नहीं. ..दोष सिर्फ मेरी नज़रों का था
तुम्हारा भी था कुछ हमारा भी था।

न समझो हमें सिर्फ तुम यूँ गलत
तेरा मुस्कुराना इशारा भी था ।

मिला हमको जन्नत तेरी पहलू में
तेरे साथ खूबसूरत नज़ारा भी था।

क्यों करके किनारा हमसे चल दिए
ये टूटा हुआ दिल तुम्हारा भी था।

टूटकर सम्भली हूँ मुश्किलों से मैं
यह रहमत खुदा का तेरा दिल हमारा भी था।

डॉ. अनिता सिंह
24/6/ 2018

रविवार, 17 जून 2018

वफादारी न होती

मैं अब भी सोचती हूँ
आज भी हम साथ होते
अगर तेरे - मेरे दरमियाँ
वफादारी न होती।
पल्लवित -पुष्पित होता रिश्ता
झूठ -फरेब की बागवानी होती ।
अगर ------------------
न फिर तेरी यादों में आँसू होते
न तड़प और दर्द की कहानी होती।
अगर ---------------------
न याद आती तेरे मिलन की जुदाई में
न तेरी तस्वीर की निशानी होती।
अगर ----------------------
छला होता अगर तुमने मुझे औरों की तरह
धोखेबाज़ समझ कर तेरी सूरत बिसारी होती।
अगर --------------------------
छूआ भी तो तुमने मुझे इतनी ईमानदारी से
कि आज तक उसी की खुमारी होती
अगर----------------------------
जानते हो हम दोनो अपनी जगह
वफादार थे
तभी तो आज भी अश्रुओं की राहदारी होती।
अगर -----------------------------
तुमने मेरा होने का भरोसा न दिलाया होता
तो आज तेरी याद में मैं जज्बाती न होती
अगर----------------------------

डॉ. अनिता सिंह
17/6/18

रविवार, 10 जून 2018

राहत है तू

कैसे भूला दूँ तुम्हें
मेरी वर्षों की चाहत है तू।
नींद आती नहीं है मुझे
मेरी वर्षों की आदत है तू।
तेरी कमी महसूस होती है मुझे
मेरी जिंदगी में राहत है तू।

डॉ. अनिता सिंह
10/6/2018

मंगलवार, 5 जून 2018

आह!...... में


देखकर उसे यूँ तड़प गयी
एक हूक सी उठी मेरे हीय में।
ये नजरे उठी की उठी रह गयी
जब उनको देखा किसी और के आगोश में।
ये दिल जो उनका दिवाना हुआ था
टूटकर बिखर गया उसी राह में।
कर दिये विरान मेरी जिंदगी को
वो रहतें हैं सिर्फ मेरी आह! में ।

डॉ. अनिता सिंह
5/6/2018

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