दर्शनाभिलाषी हूँ तेरी दर्शन तो दिया करो। नहीं माँगती हूँ कुछ तुमसे बस उर में अपने जगह दिया करो। मेरी स्मृतियों में तुम रहते हो मुझे स्मृता में रखा करो। कभी - कभी तुम मेरे अंतर्मन की पीड़ा को भी पढ़ लिया करो।
डॉ. अनिता सिंह 7/7/2018
👌👌
👌👌
जवाब देंहटाएं