मैने कब कहा-तुमसे कि
तुम मेरे साथ चलो।
हाँ,चाहा जरुर ........
कुछ पल बैठो मेरे साथ
तेरी उलझने सुलझा दूँ
मैं लेकर हाथों में तेरा हाथ।
तुम मेरे साथ चलो।
हाँ,चाहा जरुर ........
कुछ पल बैठो मेरे साथ
तेरी उलझने सुलझा दूँ
मैं लेकर हाथों में तेरा हाथ।
मैने कब कहा तुमसे कि
तुम मेरे रिश्ते को नाम दो।
हाँ, चाहा जरुर.........
तुम आत्मीयता का रिश्ता
रखते मेरे साथ,
पर मैने तुम्हें कभी
नहीं किया मजबुर।
मैं नहीं जानती
तुम क्यों चले गये मुझसे दूर।
मैं आज भी नहीं समझ पायी
मेरा क्या था कसूर............।
तुम मेरे रिश्ते को नाम दो।
हाँ, चाहा जरुर.........
तुम आत्मीयता का रिश्ता
रखते मेरे साथ,
पर मैने तुम्हें कभी
नहीं किया मजबुर।
मैं नहीं जानती
तुम क्यों चले गये मुझसे दूर।
मैं आज भी नहीं समझ पायी
मेरा क्या था कसूर............।
डॉ. अनिता सिंह
07/10/2018
07/10/2018
Very nice
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