रविवार, 28 अक्तूबर 2018

मुक्तक

है तेरे लिए मेरी आँखों में नमी।
खल रही है दिल को आज तेरी कमी।
ख्वाब पिघलें हैं पलकों से आँसू बनकर,
दिल में तेरी यादों की बरफ है जमीं।

डॉ. अनिता सिंह
28/10/18

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