सोमवार, 4 सितंबर 2023

तब और अब

 तब और अब
सब बात तब बात इतनी सी थी कि
तुम अच्छे लगते थे
अब बात इतनी बढ़ गई कि
तुम बिन कुछ अच्छा ही नहीं लगता है

तब तुम दिल में धड़कते थे
अब हालात ऐसे हैं कि
मेरी जिंदगी ही तुमसे धड़कती है

तब तुम्हें जी भर कर देखने की चाहत थी
अब नजरों में इस कदर समाए हो कि
तेरे सिवा कुछ नजर ही नहीं आता है।

तब तुम्हें अपना बनाने की चाहत थी
अब इस कदर मेरे हो गए हो कि
तुम बिन मेरा कोई अस्तित्व ही नहीं है।

डॉ.अनिता सिंह
समीक्षक/उपन्यासकार 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Popular posts