जनवरी नये खिलते फूलों की
खुशबू जैसा लगता है।
उत्साह उमंग से भर कर
जीवन चलना शुरू करता है।
फरवरी सोचते हैं अभी तो शुरू हुआ है साल।
कुहरे- कुहरे में दिला जाता है बसंत की याद।
मार्च थोड़ी तपिश और थोड़ा
पसीना छोड़ जाता है।
जिंदगी पटरी पर नहीं आई
यह फीक्र भी कराता है।
अप्रैल के साथ शुष्क सा यथार्थ आता है।
जो कोमल इरादे की पत्तियों को झुलसाता है।
मई जब सामने आता है,
धूल, धूप और गर्मी साथ लाता है ।
समय धीरे- धीरे निकल रहा है
यह भी याद दिलाता है।
जून थोड़ी बेचैनी थोड़ा उमस के साथ आता है।
आधे साल के बचे होने का एहसास दिलाता है।
जुलाई जब सामने बरसात में नहाता है।
कशमकश के साथ वादों को याद दिलाता है।
अगस्त से आरम्भ हो जाता है वर्ष का ढलान।
जिसमें पहली बार शामिल होता है
उदास खयाल।
सितम्बर थोड़ा सहारा देता है तसल्ली भी
कि बहुत कुछ किया जा सकता है अभी भी।
अक्टूबर साथ माँ दुर्गा और
लक्ष्मीको लेकर आता है।
याद दिलाता हुआ झूमकर सारे उत्सव मनाता है।
नवम्बर से ही आरम्भ हो जाता है विदा गीत।
कोमल धूप में लिपटा चिड़ियों का संगीत।
दिसंबर तो आता ही है
नये साल का दरवाजा खोलने।
खुद से किए अनगिनत वादों को भूलने।
पहली बार महसूस होता है निकल गया साल
लेकिन इसके बाद तो फिर आ रहा है नया साल।
जिसमें देख सकेंगे सपने फिर से नये सिरे से।
क्योंकि आ गया है नया साल धीरे से, धीरे से।
डॉ. अनिता सिंह
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
मो. न. 9907901875
बुधवार, 1 जनवरी 2020
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
Popular posts
-
मुझे कुछ पता नहीं था कहाँ,कैसे, कब जाना है । रात में अचानक नींद खुली तो मैं छटपटा कर उठ बैठी । ठीक ही तो कह रहे थे मैंने इतने वर्ष ...
-
अनंत इच्छाएँ.... अनंत इच्छाएं कभी खत्म ही नहीं होती हैं हर पल मन में चलती रहती हैं। सुबह उठते ही अखबार पढ़ती हूँ तो खोजी पत्रकार होने की इच...
-
अनंत इच्छाएँ.... अनंत इच्छाएं कभी खत्म ही नहीं होती हैं हर पल मन में चलती रहती हैं। सुबह उठते ही अखबार पढ़ती हूँ तो खोजी पत्रकार होने की इ...
-
कैसे हो तुम? मै भी क्या सवाल पूछ रही हूँ ,हमेशा की तरह तुम्हारा वही जवाब होगा ठीक हूँ ।बहुत दिनों से तुम्हारी खबर नहीं मिली तो पत्र लिख रही ...
-
बड़ा बेटा पिता के जाते हैं बेटे ने ओढ़ ली जिम्मेदारियाँ । किसी ने कुछ नहीं कहा फिर भी बेटे ने ओढ़ ली पिता की सारी जिम्मेदारियाँ क्योंकि व...