रविवार, 20 मई 2018

संवाद

तुम हमसे कुछ संवाद करो
दो पल ही सही कुछ तो मीठी बात करो।

बीत रहा है युग जैसे
जीवन में कुछ राग भरो।

त्याग मौन को तुम
हमसे कुछ तकरार करो।

बहुत तड़पाया है मुझको
अब मिलनेच्छा की शुरुआत करो।

नहीं जीवन भर तो
चंद कदम तो साथ चलो।

कब तक दूर रहोगे मुझसे
अब तो मुझे अपना लो।

नहीं करूँगी कोई शिकायत
अब तो गले लगा लो।

भूल हुई है जो मुझसे
उन भूलों को अब माफ करो।

मर-मर कर जी रही हूँ हर पल
सूने जीवन में कुछ आस भरो।

पल-पल तड़प रही हूँ मैं
प्रभु! आकर मेरा उद्धार करो।

डॉ. अनिता सिंह

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