तू स्वाति का बूंद 💧 है मेरा मैं हूँ चातक तेरी । तू चाँद 🌙 की शीतल चाँदनी मैं हूँ तेरी चकोरी । कब आओगे मीत मेरे देख रही 'अन्नु' पथ तेरी।
डॉ. अनिता सिंह
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