जो मिल जाते तुम एक बार,
लेती मैं जी भर के निहार।
रखती हरपल पलकों में तुझे,
कर देती अपना सर्वस्व वार।
हर पीड़ा में पाया तुझको,
दिया तूने है सदैव सहाय।
अहसास है होने का तुम्हारे,
फिर भी मन क्यों है उदास ।
इसमें -उसमें सबमें ढूँढा,
जब बैठी मैं मन हार।
तब तूने अहसास कराया,
मैं सदैव हूँ तेरे साथ।
डॉ. अनिता सिंह
14/01/2019
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