संत आज के बड़े निराले
गेरूआ है सिर्फ वसन उनका
मन मलिन और काले।
त्याग तपस्या से नाता तोड़ दिया है ।
नैतिकता का उत्तरदायित्व छोड़ दिया है।
राह दिखाने वाले बन गए राह के रोड़े।
गैरिक वस्त्रों की मर्यादा भूलकर
व्यभिचार अनैतिकता में डूबकर
मदिरा के उड़ेल रहें हैं प्याले ।
लोभ -लालच में फँसे हुए हैं
भोग -विलास में डूबे हुए हैं
संपत्ति संग्रह में लिप्त हुए हैं
धर्म के रखवाले।
अच्छे -बुरे की पहचान नहीं है
धर्म का वास्तविक ज्ञान नहीं है
फिर भी प्रवचन करते सांझ सबेरे।
संत -महात्मा के गुणों से कोशो दूर
शानो -शौकत में जीने को मजबूर
अध्यात्म के नाम पर करते चोचले सारे।
धर्म के ठेकेदार बने हैं
जनता को गुमराह किए हैं
अपना उल्लू सीधा करने करते हैं उद्यम सारे।
महिलाओं का यौन शोषण इनका धार्मिक कृत्य है
सलाखों के पीछे जाना इसका प्रमाणित सबूत है
अरबों का व्यापार करते ढोंगी बाबा प्यारे ।
डॉ. अनिता सिंह
रविवार, 17 नवंबर 2019
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Popular posts
-
सच -झूठ झूठ ने एक दिन सच से पूछा क्यों होती है दुनिया में सच-झूठ की लड़ाई? सच ने मासूमियत से जवाब दिया -- जो बोलते हैं ,सच का साथ दो व...
-
तू स्वाति का बूंद 💧 है मेरा मैं हूँ चातक तेरी । तू चाँद 🌙 की शीतल चाँदनी मैं हूँ तेरी चकोरी । कब आओगे मीत मेरे देख रही 'अन्नु'...
-
नयी पहल कोरोना की दूसरी लहर ने मेरे परिवार को पूरी तरह से बिखेर दिया था। माँ - बाबू जी दोनों को कोरोना ने अपने चपेट में ले लिया था। कोरोना...
-
मेरा आनंद तुझ पर ही निर्भर है इसलिए विकल होती हूँ हर बार। प्रभु अगर तुम नहीं होते तो मेरा प्रेम था निष्फल बेकार। तुमको ही लेकर रहती हूँ ...
-
अब मैं धीरे-धीरे बुझने के लगी हूँ। करती नहीं अब किसी से बात । सुनती नहीं जीवन का राग । करती नहीं किसी की तारीफ , क्योंकि अब मैं--------...
-
तेरी यादों का घरौदा भी क्या खूब होता है। तुम्हें भूलना चाहूँ तो तू हर पल करीब होता है । तुम्हें देख खामोशियाँ खिलखिलाती थी मेरी । अब त...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें