रविवार, 10 सितंबर 2023

प्रभु

मैं निर मूढ़ अज्ञानी प्रभु 
तुम ज्ञान की ज्योति जला देना।

मैं मोह माया में डूबी हूँ प्रभु
तुम भक्ति की रीत बता देना।

तारा है तूने अहिल्या को प्रभु
 मुझे आरत को भी तरा देना ।

दर-दर भटक रही हूँ प्रभु मैं
मुझको भी राह है दिखा देना ।

मीरा- सी देना भक्ति मुझे प्रभु
 विषय - वासना से छुड़ा देना ।

शबरी- सी देना सब्र मुझे प्रभु
अंत समय तुम आ जाना।

कब तक जग में भटकती रहूँ गी 
जन्म -मरण को अब मिटा देना।

 कितने भक्तों को तारा है प्रभु तुने
मुझे अज्ञानी को भी भवसागर
  पार करा देना ।

डॉ.अनिता सिंह 
समीक्षक/उपन्यासकार 

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