राम हो मन में तो
तन अयोध्या सा
स्वयं हो जाएगा
मन में है रावण तो
सोने की लंका भी
ढह जाएगा।
राम हो मन में तो
मर्यादा का परचम
अवश्य लहराएगा ।
मन में हो रावण तो
मर्यादा के सारे परत
को उधाड़ जाएगा।
राम हो मन में तो
अंधेरे में भी पथ
आलोकित हो जाएगा।
रावण है मन में तो
प्रकाश पुंज में भी
पथ नजर न आएगा ।
राम अटकन है तो
रावण भटकन है
हे मनुष्य!
तुझे चुनना है कि
कौन से पथ पर
कदम बढ़ाएगा....?
डॉ.अनिता सिंह
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