रविवार, 29 अप्रैल 2018

मेरी जिंदगी में

मैं चाहती हूँ कि तुम लौट आओ
फिर मेरी जिंदगी में।
तुम्हारे बिना मेरी जिंदगी,
जिंदगी नहीं लगती है ।
जब तुम मेरे साथ थे तो
मेरे पास, खुशियों का खजाना था।

मैं चाहती हूँ कि
तुम कुछ पल बैठो मेरे पास
मेरा हाथ अपने हाथों में थाम।
तुम्हारे हाथों की गर्माहट को मैं
महसूस करूँ।
तुम्हारे साथ कुछ नया ख्वाब बुनूँ।

मैं चाहती हूँ कि तुम्हारे सामीप्य में
मैं आँखें बंद कर खो जाऊँ तुममे ,
और तुम फिर से कहो-----
मुझसे क्या चाहती हो?
मैं अश्रुपूर्ण नयनो से कहूँ-
तुम लौट आओ ,मेरी जिंदगी में ।

डॉ. अनिता सिंह

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