शुक्रवार, 10 अगस्त 2018

जब याद आते हो तुम......

जब याद आते हो तुम...............
दिल की धड़कने शोर करने लगती हैं।
आँखों से निर्मल सरिता बहती है।

उदासीनता के बादल घेर लेते हैं।
स्मृतियों के काँटे नश्तर से चुभने लगते हैं।

याद करती हूँ वो हर लम्हा...........
कैसे तुम मेरे इतने करीब आकर
आज मुझसे दूर चले गए।
कैसे एक खूबसूरत रिश्ते को
तुम नफरत में बदल गए ।

मेरा मन अभी भी तेरे ही प्रेम में डूबा है।
यह तो वर्फीली घाटी का वह रास्ता था
जहाँ से यदि कोई गुजरे तो
उन्हें लौटने का कोई रास्ता न था
फिर तुम क्यों और कैसे नये रास्ते खोज लिए।

डॉ. अनिता सिंह
1o/8/2018

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