रविवार, 1 अप्रैल 2018

लौट आए

नज़र भर के देखा न कुछ बात की
फिर भी लगा मुलाकात की।
न पलकें झुकीं न होंठ कंपकपाएं
फिर भी लगा हिय की बात की।

वक्त की दुरियाँ कहूँ या थी मजबुरियाँ
दूर जाकर मुझसे वो फिर पास आए।
देखकर उनको मेरे कदम लड़खड़ाए
ऐसा लगा वो चंद कदम साथ आए।

दिल में हलचल मची और होंठ मुस्काए
ऐसा लगा हम उन्हें छूकर आए।
आँखें थी नम और गीत गुनगुनाए
वो फिर मेरी जिंदगी में लौटआए।

डॉ. अनिता सिंह

5 टिप्‍पणियां:

Popular posts