नज़र भर के देखा न कुछ बात की
फिर भी लगा मुलाकात की।
न पलकें झुकीं न होंठ कंपकपाएं
फिर भी लगा हिय की बात की।
वक्त की दुरियाँ कहूँ या थी मजबुरियाँ
दूर जाकर मुझसे वो फिर पास आए।
देखकर उनको मेरे कदम लड़खड़ाए
ऐसा लगा वो चंद कदम साथ आए।
दिल में हलचल मची और होंठ मुस्काए
ऐसा लगा हम उन्हें छूकर आए।
आँखें थी नम और गीत गुनगुनाए
वो फिर मेरी जिंदगी में लौटआए।
डॉ. अनिता सिंह
latest kavita , nice mam
जवाब देंहटाएंBhut khiob
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखी हैं ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मैम
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़ियाँ
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