मंगलवार, 20 फ़रवरी 2018

क्षणिकाएँ

( 1) "चाहत "
उनके आने से पहले
उनके कदमों की आहट
जान लेती हूँ।
उनकी नजरों से ही
अपने लिए उनकी चाहत
जान लेती हूँ ।
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( 2) “नाराजगी "
ये कैसी नाराजगी
जताते हो?
गलतियां बताए बगैर
मुझे हर पल क्यों
सताते हो।
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(3) “ख्याल "
ख्याल तेरे तरफ क्यों
बार-बार जाता है ।
मेरी जिंदगी को तू
तनहा बना जाता है ।
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( 4) “ जिगर"
गुजरा नहीं कोई
तेरे बाद इधर से।
अब भी तेरी याद
नहीं गयी जिगर से।
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(5)"सलामत”
तेरे सलामत की दुआ में
हर लमहा गुजर जाता है।
कब ये वक्त तेरी याद में
तनहा गुजर जाता है।
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डाॅ. अनिता सिंह

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