सोमवार, 19 मार्च 2018

याद है तुम्हें

याद है तुम्हें
जब पहली बार तुमने
मेरे हाथों का स्पर्श किया था
मैं अन्दर तक सिहर गयी थी
तन-मन में खुशी की लहर दौड़ गयी थी
कितना मृदु था तुम्हारा वो स्पर्श
फिर तुमने मेरे मन को टटोला था
पूछा था तुमने बड़ी कोमलता से सवाल
मैने जवाब भी दिया था
फिर मेरे होने का आश्वासन देकर
क्यों दूर हो गए तुम
अब रह गए हो मेरी स्मृतियों में
मेरे आसुओं में, सिर्फ तुम..............।

डॉ. अनिता सिंह

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