रविवार, 25 मार्च 2018

तुम्हारी हँसी

तुम्हारी हँसी....
मेरे कानो से टकराकर
निर्मल निर्झर बनकर बहती है ।

तुम्हारी हँसी
वशीकरण मंत्र की तरह
अपने वश में कर लेती है ।

तुम्हारी हँसी
की इस गणित में
उलझती रहती हूँ कि
पहले तुमने मुझे
देखकर हँसा था
या पहले मैं हँसी थी।

डॉ. अनिता सिंह

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