तुम्हारी हँसी....
मेरे कानो से टकराकर
निर्मल निर्झर बनकर बहती है ।
तुम्हारी हँसी
वशीकरण मंत्र की तरह
अपने वश में कर लेती है ।
तुम्हारी हँसी
की इस गणित में
उलझती रहती हूँ कि
पहले तुमने मुझे
देखकर हँसा था
या पहले मैं हँसी थी।
डॉ. अनिता सिंह
nice one mam , mai sudhanshu singh class 10 c ka
जवाब देंहटाएंThank you
जवाब देंहटाएंअति उत्तम
जवाब देंहटाएंVery nice
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