बुधवार, 29 नवंबर 2017

मेरी जरुरत हो

मान लिया मैने कि तुम करते हो मुझसे,
नफरत बेहिसाब ।
तुझे मिल गया है किसी और का साथ,
पर मैं कैसे करूँ यह एतबार।

कैसे भूलूँ  तेरी बातें,
कैसे भूलूँ सर्दी की राते
कैसे ना करूँ तेरा इंतजार
कुछ पल तो तुने बिताए थे  मेरे साथ।

नहीं भूलती तेरे प्रथम स्पर्श के अहसास की बात को।
तेरे और मेरे बीच होने वाली तकरार की बात को।

तुम्हें मिल गया किसी और का साथ।
मेरे साथ है मेरी तनहाई और तनहा रात ।
 
तुम मेरे लिए  देवता की मूरत हो।
तुम अभी भी मेरी जरुरत  हो।

 
क्या करूँ मुझे तो भूलती ही नहीं तेरी सूरत है।
मरने के लिए भी मुझे  तेरी बाहों की जरूरत है।

                            डॉ. अनिता  सिंह

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