बुधवार, 29 नवंबर 2017

वृद्धाश्रम

ऐसा क्या हुआ कि सबने मुझे छोड़ दिया ।
पाला था जिसे लाड से इतना,
उसने ही दिल तोड़ दिया  ।
परिवार से ही  खुशियाँ थी ,
पर परिवार ने ही मुँह मोड़ लिया ।
कहाँ गए संस्कारों के मोती,
क्यों सबने उसे बिखेर दिया ।
कहाँ रह  गयी परवरिश में कमी,
जो अपनो ने ही छोड़ दिया  ।
जहाँ बसती थी खुशियाँ हर दिन ,
वह निकेतन क्यों सबने तोड़ दिया ।
जिनका भगवान के बाद दुजा स्थान ,
उन्हें क्यों वृद्धाश्रम में ढकेल दिया ।
बना छत्र छाया यह वृद्धाश्रम ,
जिसने टूटे दिलों को जोड़ दिया ।

                                  डॉ.अनिता सिंह

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