बुधवार, 29 नवंबर 2017

“मैं और मेरी माँ"

मैं और मेरी माँ का रिश्ता अटूट ।
जिसमें नहीं कोई डाल सकता फूट ।

माँ की ममता का मीठा अहसास।
कर जाता मुझे हरदम  उदास  ।।

काश ! मैं बाँट सकती माँ का दर्द ।
दुखों को उठा लेती बनकर हमदर्द ।।

समझा पाती सबको उनकी पीडा़ ।
उनके अरमानों को देती कोई दिशा ।।

उनके चेहरे पर ला सकती खुशियाँ ।
बन करके उनकी अच्छी बिटिया ।।

तमन्ना है मेरी हर रात हो उनकी दिवाली ।
हर दिन  मे  हो  होली    की      गुलाली ।।

हर   शाम हो   उनकी  सुरमयी ।
हर   सुबह  हो उनकी सतरंगी ।।

मैं और मेरी माँ रहते हरदम साथ ।
उनकी हाथों में रहता सदैव मेरा हाथ ।।
         
                             डॉ.अनिता सिंह
                             बिलासपुर (छ. ग.)

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