बुधवार, 29 नवंबर 2017

लौटकर आना ...........

मैं लौटकर आना चाहती हूँ तुम्हारे पास  ।
मुझे यकीन है तुमसे मिलकर,
मैं भूल जाऊँगी तुम्हारे दिए आघात।
भाव शून्य हैं जो तेरी निगाहे,
उन निगाहों में जगाना चाहती हूँ जीवन की आस।

मैं निहारूँगी जब जानी-पहचानी तेरी नजरों 👀 को,
तब मेरी अश्रुधारा में धुल जाएगी गिले-शिकवे की बात।
जब मैं तुम्हारा स्पर्श  करूँगी,
एक अलग ही दुनिया में खुद को पाऊँगी तुम्हारे साथ।
कोई स्वार्थ नही है इस रिश्ते में,।
तभी तो तुम आ जाते हो मेरे ख्वाबों में हर रात ।

जिस तरह  रेत का स्पर्श करती हैं लहरें ,
उसी तरह तुम मुझसे दूर हो जाते हो हर बार।

बची रह जाती है  सिर्फ तेरीअनुभूति,
स्वप्न  सा है  मेरे लिए तेरे आलिंगन का संसार।

                                डॉ. अनिता सिंह

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