मैं लौटकर आना चाहती हूँ तुम्हारे पास ।
मुझे यकीन है तुमसे मिलकर,
मैं भूल जाऊँगी तुम्हारे दिए आघात।
भाव शून्य हैं जो तेरी निगाहे,
उन निगाहों में जगाना चाहती हूँ जीवन की आस।
मैं निहारूँगी जब जानी-पहचानी तेरी नजरों 👀 को,
तब मेरी अश्रुधारा में धुल जाएगी गिले-शिकवे की बात।
जब मैं तुम्हारा स्पर्श करूँगी,
एक अलग ही दुनिया में खुद को पाऊँगी तुम्हारे साथ।
कोई स्वार्थ नही है इस रिश्ते में,।
तभी तो तुम आ जाते हो मेरे ख्वाबों में हर रात ।
जिस तरह रेत का स्पर्श करती हैं लहरें ,
उसी तरह तुम मुझसे दूर हो जाते हो हर बार।
बची रह जाती है सिर्फ तेरीअनुभूति,
स्वप्न सा है मेरे लिए तेरे आलिंगन का संसार।
डॉ. अनिता सिंह
रोचक😃😃
जवाब देंहटाएंबढियां
जवाब देंहटाएंबढियां
जवाब देंहटाएंNice
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