तुम्हें देखते ही हृदय ममुस्कुरा उठता है
लेकिन हृदय की धड़कनो को समेटते हुए
हौले से मुस्कुराती हूँ।
तुम्हारा इंतज़ार करती हूँ
तुम कुछ कहोगे.......।
लेकिन तुम पक्के व्यापारी की तरह
अनदेखा कर आगे बढ़ जाते हो।
मेरी खुशी अपने पास रख
दर्द देकर चले जाते हो।
और मैं तुम्हें देखती रह जाती हूँ
अपलक.........................।
डॉ. अनिता सिंह
सोमवार, 15 जनवरी 2018
अपलक
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Popular posts
-
मुझे कुछ पता नहीं था कहाँ,कैसे, कब जाना है । रात में अचानक नींद खुली तो मैं छटपटा कर उठ बैठी । ठीक ही तो कह रहे थे मैंने इतने वर्ष ...
-
अनंत इच्छाएँ.... अनंत इच्छाएं कभी खत्म ही नहीं होती हैं हर पल मन में चलती रहती हैं। सुबह उठते ही अखबार पढ़ती हूँ तो खोजी पत्रकार होने की इच...
-
अनंत इच्छाएँ.... अनंत इच्छाएं कभी खत्म ही नहीं होती हैं हर पल मन में चलती रहती हैं। सुबह उठते ही अखबार पढ़ती हूँ तो खोजी पत्रकार होने की इ...
-
कैसे हो तुम? मै भी क्या सवाल पूछ रही हूँ ,हमेशा की तरह तुम्हारा वही जवाब होगा ठीक हूँ ।बहुत दिनों से तुम्हारी खबर नहीं मिली तो पत्र लिख रही ...
-
बड़ा बेटा पिता के जाते हैं बेटे ने ओढ़ ली जिम्मेदारियाँ । किसी ने कुछ नहीं कहा फिर भी बेटे ने ओढ़ ली पिता की सारी जिम्मेदारियाँ क्योंकि व...
😍😍😍😍
जवाब देंहटाएंbehtarin
जवाब देंहटाएं