गुरुवार, 25 जनवरी 2018

तुम लौटोगे न............?

मैं तुम्हें मित्रवत चाहती हूँ।
तुम्हारे संग हर्षित होती हूँ,
तुम्हारे ही संग रोती हूँ।

चाहे तुम मुझे उल्लास दो
चाहे तुम मुझे विषाद दो
यह तुम पर निर्भर है।

मेरी चाहत की पराकाष्ठा है
तुम्हारा स्पर्श ।
तेरे चरणों में कर दूँ सब अर्पण।

फिर भी मुझसे बात नहीं करना चाहते तो
कोई बात नहीं ।
मुझे नहीं देखना चाहते तो
कोई बात नहीं ।
तुम्हारे पास मुझे देने के लिए
खुशी नहीं तो कोई बात नहीं ।

मुझे तो तुम्हारा दिया दर्द भी अजीज है
उसी के साथ रोती हूँ, तड़पती हूँ
तुम्हारे लौटने का इंतजार करती हूँ।
तुम लौटोगे न......................??

4 टिप्‍पणियां:

Popular posts