मंगलवार, 9 जनवरी 2018

मुखौटा

मैं जानती हूँ कि
तुमने अपने खूबसूरत चेहरे पर
नफरत का मुखौटा ओढ़ रखा है।
तेरी बोलती आँखें
सब कुछ बयाँ कर जाती है ।
सूरज की राश्मियों के साथ
तेरे स्नेह की किरणें फैल जाती हैं।
चाँद की शीतलता के साथ
रातों को महका जाती हैं।
फिर यह नफरत का मुखौटा क्यों..?

डॉ. अनिता सिंह

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