सोमवार, 8 जनवरी 2018

दर्द

ऐ दर्द तू कितने रूप में रहता है?
किसी के आँखों में आँसू बनकर
किसी के दिल की धड़कन बनकर
किसी के भूख में तड़पकर
हर रिश्ते में रहता है।

तुझसे रिश्ता पुराना है
किसी रांझे की हीर बनकर
किसी ममता की पीर बनकर
मासूम ह्रदय में तू पलता है।

कहीं विवशता में रहकर
कहीं लाचारी में पलकर
फिर भी मौन रहकर सपनों में सजता है।
डॉ. अनिता सिंह

1 टिप्पणी:

Popular posts