प्यास तब थी बहुत अब तो है भी नहीं । लाख सागर मिले लेकिन मैं यूँ पीती नहीं । अब पपीहे की भाँति मेरी प्यास है बूंद स्वाति की अब तक मुझे आस है। डॉ. अनिता सिंह
Beautiful lines😆😆
Very nice
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जवाब देंहटाएंVery nice
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