सोमवार, 15 जनवरी 2018

अपलक

तुम्हें देखते ही हृदय ममुस्कुरा उठता है
लेकिन हृदय की धड़कनो को समेटते हुए
हौले से मुस्कुराती हूँ।
तुम्हारा इंतज़ार करती हूँ
तुम कुछ कहोगे.......।
लेकिन तुम पक्के व्यापारी की तरह
अनदेखा कर आगे बढ़ जाते हो।
मेरी खुशी अपने पास रख
दर्द देकर चले जाते हो।
और मैं तुम्हें देखती रह जाती हूँ
अपलक.........................।
डॉ. अनिता सिंह

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